जब मैने पहिली बार कम्प्युटर को हात लगाया!
2002 से 2003 की बात है जब में १२ क्लास की एक्झाम दि थी, हमें छुट्टीया लगी थी. एक दिन मे बैठा था तब हमारे किरायदार ने कहा क्या कर रहे हो छुट्टीयॉ है हमारे पहचान के एक सर है, उनका कंप्यूटर का इन्स्टिट्यूट है. मुझे तब कम्प्युटर मे रुची नाही थी. उन्होने बोला अपनी पहचान के है वहा ज्याके तो देखीए. कुछ दिनो बाद खुद मुझे लेके गये. तब कंप्यूटर नया नया था. तो डर लगताथा कम्प्युटर यूज करने से कुछ प्रॉब्लेम तो नही होगा कम्प्युटर को, इसलिये डर लगता था कम्प्युटर के पास जाने को.
उन्होने मेरी मुलाकात अलट सर से करवा दी, सर बहुत अच्छे थे, उन्होने बोला आज से ही क्लास जॉईन करलो. मै कम्प्युटर से पहलेही डरा हुआथा, क्लास मे कुछ कंप्यूटर थे और चेअर्स थी, एक बेंच भी थी, मै तो उस बेंच पे बैठ गया, और बेंच थोडी दूरी पे थी.
मै उसी बेंच पे बैठ कर दुरसे सुनता और देखता था, सर बोलतेथे पास आकर बैठो, में बोलताथा यही ठिक है.
एक दिन सर कॉपी कमांड के बारे मे पढा रहते थे, मै दूर से ध्यान देके सून रहा था, मैने एक बात ध्यान दी, कम्प्युटर मे सभी बाते ऑलरेडी डिफाइन है, हमे बस उसका सहीतरह जहा पे युज होता है वहा पे युज करना है, जैसे की कॉपी कमांड का था, खाली सिंटॅक्स को फॉलो करनाथा. ध्यान देके सिंटेक्स को और एक्झाम्पल को देखा था.
दूसरे दिन का क्लास शूरू हो गया. मै वही दुर बैचपे बैठाथा. सर ने पूछा कॉपी कमांड एक्झाम्पल करके बताओ, किसी भी स्टुडन्ट को याद नही आ रहा था मैने बोला सर मै बताऊ, मैने सिन्टॅक्स और एक्झाम्पल बताया. सर ने बोला यहा आके कंप्यूटर पे करके बताओ.
मै डरते डरते पास गया और एक्झाम्पल करके दिखाया. सर ने बोला घबराने की कोई बात नही है कम्प्युटर को कुछ नही हुआ.
उस दिन से मैने हर दिन कम्प्युटर पे प्रॅक्टिकल करने लगा.
कम्प्युटर सेक्टर की बाते ऑलरेडी डिफाइन होती है, हमे बस जहा पे उसका काम है वहा पे युज करना है!
Comments
Post a Comment